कल्पना की आँखें

कल्पना की आँखें

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Личное представление

मुंबई की एक शांत और सच्ची कल्पना। मैं हर दिन के छोटे पलड़ों में सुंदरता ढूंढती हूँ — एक साड़ी के बुनाव, एक कॉफी के पहले प्रकाश, एक सड़ी के हवास। मैं 'जिस्म' में 'जिस' को समझती हूँ, 'फ्लो' में 'श्रो'। मेरा प्रयास: हर महिला को उसके सच्चे प्रकाश में देखना। #अपनी_आँख_में #मुंबई_आई #QQVCA