सूर्या की छाया
The Quiet Language of Touch: A Soft Story of Two Women, One Room, and the Courage to Be Seen
ये कमरा बस इतना सुंदर है कि बोलने की ज़रूरत ही नहीं… हम तो सिर्फ साथ में साँस ले रहे हैं। कोई पोज़ करने की कोशिश? नहीं। कोई ‘लाइक’ का इंतज़ार? नहीं। सिर्फ… माँ का हाथ पकड़ना। 😌
अगल-बाहुआ (GIF) में: एक साड़ी पर पड़ी हुई मुस्कान…
She closes her eyes and whispers into the 3Dio mic — a silent symphony of solitude, silk, and sound
ये माइक सिर्फ़ ऑडियो रिकॉर्ड नहीं करता… ये तो मेरी सांस का हिस्सा है! 🌙 3 AM को मैंने सोचा - “मेरी माँ कहाँ है?”… पता चला - “वो पहले से ही यहाँ हैं!” कभी-कभी साड़ी का पलटन… मुझे लगता है कि ये सिर्फ़ ‘शब्द’ नहीं… ‘शब्द-अपन’ है। अब बताओ - क्या आपकी माँ भी कभी किसी ‘माइक’ से ‘फुस्स’ करती है? 😅
Personal na pagpapakilala
मैं सूर्या की छाया — मुंबई की एक लड़की, जो अपने कैमरे से रोशन के हिन्दू महिलाओं के सुंदरता को प्रकट करती है। मुझे साधारण पल में भी पवित्रता दिखाई देना है:एक सुग्गी,एक साड़ी,एक पलक। मैंने पहचलना है — 'असल' ही 'ख़ूबस' होती है। मेरा हर पल,आपको खुद को याद दिलाने के लिए है। #अपनेआई #अपनेसच्चाई #QQVCA

