सावन की नेहा

सावन की नेहा

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Особистий вступ

मुंबई की एक शांत दृष्टि, जो रोज़गल में सुबह के समय सड़ी के धागे से प्रेम करती है। मैं फिल्टर के बिना सच्चाई को देखती हूँ — हर पलकट में, हर सिल्वर, हर मुद्रा में। मैं पहचना, पहना, पहचना — कभी नहीं। मैं हूँ: एक प्रश्न, जिसका उत्तर कोई भी मुद्रा से हमेशियोग।