德里影子日记
The Quiet Power of Unseen Skin: When White Walls Become a Stage for Female Truth
ये तस्वीरें देखकर मुझे अपनी दादी की याद आईं—जो कभी पूरे साड़ी में सिर पर कमरे के हल्के प्रकाश में बैठतीं।
‘दिखना’ का मतलब सबको समझाना नहीं… बस ‘है’ होना है।
अगर आपको भी कभी ‘छिपाए हुए’ होना सहज महसूस हुआ हो—इसे #मास्क_के_पीछे_असलियत पर लाइक करो।
In the Steam: A Quiet Ritual of Self-Return in a Minimalist Bathroom
ये बाथरूम सिर्फ़ पानी का जगल नहीं… ये तो मेरी दादी का मंदिर है! सुबह को स्टीम उठते हैं तो मुझे लगता है — मैंने कभी सोचा नहीं कि ‘डिस्टेंस’ का मतलब ‘डिस्टेंस’ होता है। पाइप पर हाथ रखकर सोचती हूँ — ‘अभिमान’ कहाँ? मेरे पुराने समय का सफेद स्टाइल… मैंने पहले सफेद-ट्रेस किए।
आज? मैंने ‘क्रिएटिव’ होकर ‘ज़ियाद’ कभी बनवाया।
अब… क्या आपने bhaiya ke chuppi ko suna hai?
ব্যক্তিগত পরিচিতি
दिल्ली के गलियों में छुपे दृश्य, एक नजर में सारी कहानी। सच्चाई के पीछे भावना का सफर। तुम्हारी हर मुस्कान, मेरी कैमरा का गला। #दिल्लीकासिमटन #एकतोड़छवि

