晨光碎影
When the City Sleeps, She Stands in Light: A Quiet Rebellion in White and Red
सफेद कीमत पर लाल का डंका
जब पूरी शहर सोए है, तो मैं ‘अपने आप’ के साथ किचन में होल्ट हुई।
सफेद टी-शर्ट? सिर्फ़ कपड़ा। लेकिन लाल किनारा? वो मेरी प्रतिज्ञा है — ‘मैं यहाँ हूँ’!
मेरे पास कोई कैमरा नहीं… पर मेरी मौजूदगी है
कोई स्क्रिप्ट? नहीं। कोई प्रोफेशनल क्वाइट? नहीं। बस मेरा पुख्ता प्रयत्न: ‘आज मुझे सिर्फ़ मुझसे सच्चाई’।
‘सेक्सी’? हमने कभी सुना है?
लेकिन इस कोई ‘ड्रम’ (drum) है! यह दिमाग में गुदगुदि है — आत्म-अभिमान कि “मैं सच में म हूँ”।
आपका ‘अपन’ — Kya aapke saath bhi koi ajeeb si kahani chal rahi hai? Comment karo! 🌸
When the City Sleeps but You’re Still Awake: A Quiet Reckoning in the Glow of a Chinatown Window
जागती आत्मा की मौन कहानी
जब शहर सो रहा है… पर तुम जागे हो? मेरा मन कहता है: ‘अब कितना सुनाओगे?’ 🫠
सिर्फ़ प्रकाश की नहीं, प्रकट होने की मेहनत
पुराने दिनों में #MyQuietNight से पहले मैं सिर्फ़ ‘सुंदर’ होना चाहती थी। आज? मैं सिर्फ़ ‘वहाँ हूँ’।
क्या ‘अदृश्य’ होना भी एक क्रांति है?
कभी-कभी… सिर्फ़ सांस के प्रवाह में ‘एक-दूसरे’ को पहचानना ही सबसे मजबूत प्रदर्शन होता है।
यह video अपने प्रकट होने का समय।
आपकी ‘खड़ी’ पल? 😏 #शहर_सो_गया #जागति_आत्मा
The Quiet Rebellion of a Black Korean Woman in a World That Demands Her To Be Seen
खामोश विद्रोह
मैंने भी अपने ‘देखे जाने’ के सपने को सुबह के सुर्ख़ियां में पीछे छोड़ दिया।
3:14 AM का सुनसान सबवे प्लेटफॉर्म… मैंने अपनी परछाईं में ही ‘अच्छा’ होना सीखा।
एक ही पल में: मैं हूँ? — हाँ। मैं हूँ? — हाँ।
क्या मुझसे कोई ‘फ़िल्टर’ मांगता है? इससे पहले मैं ‘बच’ गई!
कभी-कभी सुंदरता को ‘कैप्चर’ करने की ज़रूरत नहीं होती… बस ‘याद’ करना होता है। 😌
आज मैंने अदल-बदल (rebellion) किया – बस एक पल के लिए… और समझदारी! 🙃
आपको ‘अपनी’ पहचान में अधिकार मिलता है? (जवाब #मुझसेपहचान - comment section me kahin bhi!)
The Quiet Rebellion of a Black Korean Woman in a World That Demands Her To Be Seen
खामोश विद्रोह
मैंने एक बार सिर्फ़ अपने सामने देखा… और हैरान! क्यों? क्योंकि मैंने पहली बार ‘असली’ महसूस किया।
ब्लैक कोरियन महिला? हाँ… पर सच कहूँ तो — मैं अपनी माँ के पुराने कपड़ों में सफ़ेद-लाल पट्टीवाली हजमत से प्रभावित हुई।
इतना ही नहीं — मैंने अपना सुबह-सुबह का ‘गलत’ मुस्कान भी पसंद कर लिया!
“वो ‘परम’ सफलता? सिर्फ़ तब होती है जब आईएम (I am) में मुझे पहचानता हो।”
यह #खुद_को_देखने_की_चुनौती — आपको ‘देख’वाने की कोशिश करता है?
#महिला_आवाज़ #एकट्रि_ओवर_थ्रेड #अपनी_जगह #एडिट_मत_करो
आपका ‘अधूरा’ मुस्कान… कब पहचाना? 📸👇
The Back That Speaks: How One Woman’s Quiet Strength Became My Anthem of Self-Worth
चुप्पी में भी बोलता है पीठ
कल सुबह 5:47 बजे मैंने गिम्नासियम के बाहर कॉफी पीते हुए देखा—वहाँ कोई नहीं, सिर्फ मशीनों का हम्म…और पीठ।
वो महिला? सिर्फ ‘इसके’ के लिए कभी नहीं प्रदर्शन करती। उसका पीछा = सच्चाई।
‘अपने होने’ का मौलिक संगीत
उसका पीठ — सबकुछ है: प्रतिरोध, समय, सच्चाई। जब वो एक ट्रेडमिल पर हवा में टूट गई…तो मुझे खुद को समझ में आया।
‘अपने होने’ के सबसे मज़बूत प्रमाण
आज मैंने समझा: जब ‘खड़ा’ होना = ‘असलियत’, to ‘देख’ होने कि कभी कमज़ोर है?
#TheBackThatSpeaks – अगर तुम्हारा पीठ चुप है…toh woh tumhari sabse zor ka awaaz hai.
आपको पता है? #MyQuietStrength moment kya tha? 😅 कमेंट में share karo! 👇
The Quiet Rebellion in a Blue Dress: How I Learned to Be Seen Without Asking
नीले ड्रेस में सिर्फ एक पल
मैंने कभी सोचा भी नहीं कि मैं ‘फोटो’ होऊँगी। सुबह के लिए पानी पीते हुए… रातभर के सपनों के साथ, अचानक मैंने अपना असली स्वरूप देखा।
क्या है ‘दिखाऊँ’ vs ‘विद्रोह’?
मैंने पूछा: “क्या मैं सज्जित हूँ?” उत्तर: “हाँ… मगर सज्जित कहाँ?\nकपड़ों में? \nया मुझमें?”
पुष्प-विद्रोह!
तीन पगडंडियाँ – कभी प्रकट हुए। किसी ने उन्हें ‘सजाया’ नहीं। बस…आये। और सबसे खतरनाक - बिना अप्लॉज के ज़िन्दगी में!
यह #मुझमें-दखल-इच्छा-वश-दखल- sab kuch ek chhote se blue dress mein tha. ye nahi tha fashion ka vichar… ye tha apne upar bharosa.
आपको कब पता चला? अपने ‘असल’ होने कि? कमेंट में 👇🏻बताओ! #शामथई #आधुनिक_विद्रोह
Personal introduction
दिल्ली की शांत रातों में बनी एक सुंदर कहानी। मैं प्रिया, जो सच्चे रूप में सुंदर होने के बजाय 'असली' होने का प्रयास करती हूँ। #सुबह_का_छोटा_विश्वास #आईएम_इन_माइंडसेट 🌿📸